Bhool Chuk Maaf Review: राजकुमार राव की कॉमिक टाइमिंग और शादी का तगड़ा लूप, ‘भूल चूक माफ’ देगी भरपूर हंसी
राजकुमार राव की फिल्म ‘भूल चूक माफ’ आखिरकार दर्शकों के सामने आ गई है और ये कहना गलत नहीं होगा कि फिल्म अपने नाम की तरह एक मजेदार कॉमिक सरप्राइज़ है। फिल्म की खास बात यह है कि यह एक ऐसे इंसान की कहानी है जो शादी के लिए तरस रहा है लेकिन बार-बार हालात ऐसे बनते हैं कि उसकी कोशिशें खुद ही उसके लिए सज़ा बन जाती हैं। इस फिल्म में एक स्मार्ट मैसेज है, जिसे हल्के-फुल्के अंदाज़ में दर्शाया गया है।
कहानी में है ट्विस्ट और टर्न का तगड़ा डोज़
फिल्म की कहानी घूमती है ‘राजीव’ (राजकुमार राव) के इर्द-गिर्द, जो एक सीधा-सादा, शादी का इच्छुक लड़का है। वह अपने माता-पिता और रिश्तेदारों के दबाव में जल्द से जल्द शादी करना चाहता है। लेकिन किस्मत उसके साथ अजीबो-गरीब खेल खेलती है। हर बार जब वह शादी के करीब पहुंचता है, कुछ न कुछ ऐसा होता है कि बात बिगड़ जाती है। फिल्म में हर लूप एक नई कॉमेडी लेकर आता है और यही चीज़ इसे एंटरटेनिंग बनाती है।
राजकुमार राव की एक्टिंग और डायलॉग डिलीवरी जबरदस्त है। उन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह हर जॉनर में खुद को साबित कर सकते हैं — चाहे वह गंभीर किरदार हो या हंसाने वाला।

कॉमिक टाइमिंग और स्क्रिप्ट की ताकत
‘भूल चूक माफ’ की सबसे बड़ी ताकत इसकी स्क्रिप्ट है, जो एक हल्की-फुल्की कहानी को दिलचस्प ट्विस्ट और इमोशनल टच के साथ पेश करती है। फिल्म के संवाद छोटे शहरों की ज़िंदगी और सोच को दर्शाते हैं — जहां शादी एक ज़रूरत से ज़्यादा, एक सामाजिक टारगेट बन जाती है।
डायलॉग्स जैसे “शादी नहीं हुई तो क्या हुआ, मिठाई तो खा सकते हैं” और “अब शादी नहीं हुई तो पंडित जी को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजनी पड़ेगी” दर्शकों को हंसी से लोटपोट कर देते हैं।
राजकुमार राव Shine करते हैं
राजकुमार राव इस फिल्म की जान हैं। उनके चेहरे के एक्सप्रेशंस, उनकी मासूमियत और असहायता को जिस सहजता से उन्होंने परदे पर दिखाया है, वह तारीफ के काबिल है। फिल्म की कहानी उनके कंधों पर ही टिकी हुई है और वह इसे बखूबी संभालते हैं।
उनके साथ फिल्म में सपोर्टिंग कास्ट ने भी बेहतरीन काम किया है। खासतौर पर उन किरदारों ने जो रिश्तेदारों और पड़ोसियों की भूमिका में हैं, वे फिल्म को एक ऑथेंटिक टोन देते हैं।
निर्देशन और संगीत
फिल्म का निर्देशन स्मार्ट और संतुलित है। निर्देशक ने कहानी की गति को बनाए रखा है और ह्यूमर को ओवरडोन नहीं होने दिया है। कुछ जगहों पर फिल्म थोड़ी धीमी जरूर हो जाती है, लेकिन अगले ही पल कोई मजेदार सीन दर्शकों की हंसी वापिस ले आता है।
संगीत की बात करें तो फिल्म के गाने सिचुएशन के हिसाब से अच्छे से बैठते हैं। एक-दो गानों को लोग थिएटर से बाहर निकलते हुए भी गुनगुनाते नजर आएंगे।
भूल चूक या मास्टरपीस?
फिल्म का टाइटल भले ही ‘भूल चूक माफ’ हो, लेकिन यह भूल करना फिल्म न देखने के बराबर होगा। हां, कुछ दर्शक इसकी सादगी और हल्के हास्य को बहुत प्रभावशाली ना मानें, लेकिन अगर आप राजकुमार राव के फैन हैं और आपको छोटे शहरों की कहानियां, फैमिली ड्रामा और कॉमिक सिचुएशन पसंद हैं — तो ये फिल्म आपके लिए ही है।
फिल्म का खास संदेश
फिल्म कहीं ना कहीं शादी को लेकर समाज में मौजूद प्रेशर और उससे उपजने वाले हास्यास्पद हालात पर भी करारा तंज कसती है। ‘भूल चूक माफ’ ये बताने की कोशिश करती है कि शादी जीवन का एक हिस्सा है, लेकिन ज़रूरी नहीं कि वह हर इंसान के जीवन का पहला लक्ष्य हो।
यह फिल्म उसी समाज में रहते हुए एक युवा की बेचैनी को भी दिखाती है, जो शादी ना होने के कारण अपनी आत्म-संदेह में फंस जाता है।
फाइनल वर्ड: देखें या ना देखें?
‘भूल चूक माफ’ एक मजेदार, हल्की-फुल्की फिल्म है जो आपके चेहरे पर मुस्कान जरूर लाएगी। राजकुमार राव की शानदार एक्टिंग, मजेदार स्क्रिप्ट और छोटे शहर के रंग इस फिल्म को एक बार जरूर देखने लायक बनाते हैं। शादी के इर्द-गिर्द घूमती ये कहानी, उस सच्चाई को भी दिखाती है जिससे आज भी भारत के कई युवा गुजरते हैं।

