ISS से वापस लौटा भारत की शान: जानिए कैसे गगनयान मिशन के लिए वरदान साबित होंगे शुभांशु शुक्ला के 7 परीक्षण
गगनयान मिशन 2025: भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में लगातार नई ऊँचाइयों को छू रहा है। हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से लौटे भारतीय वैज्ञानिक शुभांशु शुक्ला ने एक बार फिर देश का नाम गर्व से ऊँचा कर दिया है।
उनके द्वारा किए गए 7 अहम वैज्ञानिक परीक्षण, भारत के आगामी मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए नींव का पत्थर साबित हो सकते हैं।
कौन हैं शुभांशु शुक्ला?
शुभांशु शुक्ला, भारतीय वायु सेना के सहयोग से अंतरिक्ष में भेजे गए उन चुनिंदा वैज्ञानिकों में से हैं, जिन्हें अंतरिक्ष में रहकर जीरो ग्रैविटी (शून्य गुरुत्वाकर्षण) में विशेष परीक्षण करने का अवसर मिला।
उनका चयन ISRO और अंतर्राष्ट्रीय सहयोगी संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था। ISS में उनका मिशन लगभग 15 दिन तक चला।

क्या थे ये 7 महत्वपूर्ण परीक्षण?
शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में रहते हुए मानव शरीर, मशीनों और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभावों का सूक्ष्म निरीक्षण किया। ये परीक्षण गगनयान मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षा और जीवनशैली से जुड़े हैं।
1. मानव रक्त संचार पर जीरो ग्रैविटी का प्रभाव
अंतरिक्ष में शरीर में रक्त का प्रवाह बदल जाता है। इस परीक्षण से यह समझा गया कि अंतरिक्ष यात्रियों को हृदय संबंधी समस्याओं से कैसे बचाया जाए।
2. मांसपेशियों की कमजोरी का अध्ययन
शून्य गुरुत्व में मांसपेशियों की ताकत घटती है। शुभांशु ने इससे जुड़े व्यायाम और डाइट प्रोटोकॉल पर काम किया।
3. सांस संबंधी प्रणाली का परीक्षण
अंतरिक्ष में ऑक्सीजन का प्रवाह और सांस लेने की प्रक्रिया कैसी होती है, इसका गहराई से विश्लेषण किया गया।
4. डिजिटल उपकरणों का व्यवहार
गगनयान में प्रयोग होने वाले डिजिटल इंटरफेस और उपकरणों की कार्यक्षमता का परीक्षण, ताकि मिशन के दौरान तकनीकी बाधा न आए।
5. मनोवैज्ञानिक संतुलन
ISS पर सीमित जगह और अलग माहौल में मानसिक स्थिरता बनाए रखना चुनौतीपूर्ण होता है। इस परीक्षण ने अंतरिक्ष यात्रियों की मानसिक तैयारी को मजबूत किया।
6. खाद्य पदार्थों की प्रतिक्रिया
अंतरिक्ष में उपयोग किए जाने वाले डिहाइड्रेटेड फूड की पोषण क्षमता और पाचन पर शोध किया गया।
7. आपातकालीन चिकित्सा प्रणाली
गगनयान मिशन के दौरान मेडिकल इमरजेंसी को कैसे संभाला जाए – इस पर आधारित सिमुलेशन टेस्ट किया गया।
गगनयान मिशन के लिए क्यों हैं ये परीक्षण वरदान?
गगनयान भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन है, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष यात्री Low Earth Orbit तक भेजे जाएंगे।
इस मिशन की सफलता न केवल ISRO की तकनीकी क्षमता का प्रमाण होगी, बल्कि यह भारत को मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता वाले चुनिंदा देशों में शामिल कर देगी।
शुभांशु शुक्ला के परीक्षणों ने यह सुनिश्चित किया है कि गगनयान मिशन के दौरान भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को:
और पोषण के बेहतरीन समाधान उपलब्ध हों।
बेहतर स्वास्थ्य प्रोटोकॉल
विश्वसनीय टेक्नोलॉजी
इमरजेंसी मेडिकल सपोर्ट
मानसिक संतुलन बनाए रखने के अभ्यास
भारत की अंतरिक्ष क्रांति में नया अध्याय
भारत पहले ही चंद्रयान 3 और आदित्य L1 जैसी मिशनों में अपनी तकनीकी दक्षता दिखा चुका है। अब गगनयान के ज़रिए भारत इंसानी क्षमताओं को अंतरिक्ष में भेजने वाला अग्रणी देश बनने जा रहा है।
शुभांशु शुक्ला जैसे समर्पित वैज्ञानिकों की मेहनत और ISS जैसे मिशनों में अनुभव, भारत की स्पेस टेक्नोलॉजी को और भी मजबूत बना रहे हैं।
निष्कर्ष
ISS से लौटे शुभांशु शुक्ला की मेहनत और उनका वैज्ञानिक दृष्टिकोण निश्चित रूप से गगनयान मिशन के लिए अमूल्य साबित होगा। उनके 7 परीक्षणों ने हमें अंतरिक्ष की उन चुनौतियों से रूबरू कराया है, जिनसे मानव जाति को आगे चलकर निपटना होगा।
यह सिर्फ एक मिशन नहीं, बल्कि भारत के विज्ञान, आत्मनिर्भरता और अंतरिक्ष में नेतृत्व की ओर बढ़ता कदम है।

