Health Latest Life Style

दुनियाभर से वापस मंगाई गई कोविड वैक्सीन !

AstraZeneca का बड़ा फैसला, दुनियाभर से वापस मंगाई गई कोविड वैक्सीन (Covid Vaccine).

एस्ट्राजेनेका को दुनिया भर में अपनी कोविड-19 (COVID-19) वैक्सीन खरीदने और बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। एस्ट्राजेनेका ने 2020 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर कोरोना के खिलाफ एक वैक्सीन बनाई थी। इसी समे फॉर्मूले का यूज़ करके सीरम इंस्टीट्यूट इंडिया में कोविशील्ड (Covishield) नाम से वैक्सीन बनती है। बता दें कि कुछ दिन पहले कंपनी ने भी माना था कि वैक्सीन के कुछ साइड इफेक्ट भी है।

एस्ट्रेजिनका को सीरम इंस्टीट्यूट ने भारत में कोवीशील्ड नाम से वैक्सीन बनाती है।
बाजार में जरूरत से ज्यादा मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध: एस्ट्रेजिनका
एस्ट्राजेनेका ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ मिलकर कोरोना वैक्सीन विकसित की थी।

ब्रिटिश फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने दुनिया भर में अपनी कोविड-19 (COVID-19) वैक्सीन की खरीद और बिक्री बंद करने का फैसला किया है। इसमें भारत में बनी कोविशील्ड वैक्सीन भी है।

Covishield

कुछ दिन पहले ही दवा कंपनी ने कोर्ट के सामने वैक्सीन के खतरनाक साइड इफेक्ट की बात मानी थी.आपको बता दें कि भारत में एस्ट्राजेनेका वैक्सीन का इस्तेमाल कोविशील्ड नाम से किया जाता रहा है। हालांकि, कंपनी ने वैक्सीन को बाजार से हटाने के अन्य कारण भी बताए।

भारत में इस वैक्सीन का इस्तेमाल कोविशील्ड नाम से किया जाता है

वैक्सीन को बाजार से हटाने का अनुरोध 5 मार्च को दायर किया गया था और यह 7 मई तक प्रभावी रहेगा।

एस्ट्राजेनेका ने 2020 में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (University of Oxford)के साथ मिलकर कोरोना वैक्सीन विकसित की थी। इसके फॉर्मूले के इस्तेमाल करते हुए सीरम इंस्टीट्यूट ने इंडिया में कोवीशील्ड (Covishield) नाम से वैक्सीन बनाती है।

कंपनी ने क्या दी जानकारी?

एस्ट्राजेनेका ने मंगलवार को कहा कि बाजार में जरूरत से ज्यादा टीके मौजूद हैं, इसलिए कंपनी ने बाजार से सभी टीके वापस लेने का फैसला किया है। बता दें कि कुछ दिन पहले कंपनी ने भी माना था कि वैक्सीन के कुछ साइड इफेक्ट भी है। जैसे वैक्सीन की वजह से खून का जम जाना और ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाना।

कोविशील्ड वैक्सीन के दुष्प्रभावों की जांच के लिए चिकित्सा विशेषज्ञ पैनल बनाने की उठी मांग

पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें कोविशील्ड वैक्सीन के परिणामों की समीक्षा के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों का एक पैनल गठित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। आपको बता दें कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक, भारत में अब तक 22 करोड़ से ज्यादा खुराकें दी जा चुकी है।

याचिका वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर की गई थी, जिन्होंने अदालत से केंद्र को उन नागरिकों के लिए टीकों के भुगतान के लिए एक योजना स्थापित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था जो महामारी के दौरान टीकाकरण के कारण गंभीर रूप से विकलांग हो गए थे।

Exit mobile version