अगर आप कम उम्र में डायबिटीज और हृदय रोग का शिकार नहीं होना चाहते तो एक्सपर्ट से जानें इनसे बचाव के तरीके।
अपनी सेहत का ख्याल रखना हमारा पहला काम होती है। फिर भी, नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज के बढ़ते मामलों को देखकर हम कह सकते है। कि लोग अपनी सेहत को काफी अनदेखा कर रहे है। इसलिए, इन बीमारियों के खतरे को कैसे कम किया जाए, यह जानने के लिए हमने एक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से बात की। उनका इस डिजीज बारे में क्या कहना है आइए जानते है।
स्ट्रोक, हार्ट डिजीज, डायबिटीज जैसी बीमारियां नॉन कम्यूनिकेबल डिजीज कहलाती हैं।
इन बीमारियों से बचाव के लिए लाइफस्टाइल में सुधार सबसे जरूरी है।
हेल्डी डाइट, व्यायाम, अच्छी नींद और खूब पानी पीना बहुत ज़रूरी है।
अक्सर, मधुमेह, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों से जुड़े मामले सामने आते रहते हैं। ये रोग संक्रामक नहीं होते है, इसलिए इन्हें Non Communicable Disease कहा जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार, इन बीमारियों के कारण हर साल लगभग 1.7 मिलियन मौतें होती हैं, या कुल मौतों का 74%। इन बीमारियों में स्ट्रोक, Diabetes, Heart Disease और क्रॉनिक लंग डिजीज जैसी बीमारियां सबसे ज्यादा शामिल है।

ये नॉन कम्यूनिकेबल रोग एक मरीज से दूसरे मरीज तक भले ही नहीं फैलता, लेकिन इनकी वजह से व्यक्ति का शरीर धीरे-धीरे अंदर से कमजोर होने लगता है। इसके कारण शरीर से जुड़ी कई समस्याएं सामने आने लगती हैं। इसलिए, इन बीमारियों से कैसे बचा जाए, यह जानने के लिए हमने CK Birla Hospital, Gurgaon के इंटरनल मेडिसिन विभाग के प्रमुख कंसल्टेंट, Dr. Tushar Tayal से बात की। उनका कम्यूनिकेबल बीमारियों बारे में क्या कहना है।
नॉन कम्यूनिकेबल बीमारियों से बचाव के लिए जीवनशैली में सुधार करना ही सबसे कारगर उपाय है। हालाँकि, तकनीकी प्रगति और जीवनशैली में कई बदलावों का हमारे स्वास्थ्य पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
सेडेंटरी जीवनशैली और अस्वास्थ्यकर आहार की वजह से नॉन कम्यूनिकेबल बीमारियों का खतरा बढ़ता है और इनके बढ़ते मामलों के पीछे भी यह एक बड़ा कारण है।
इसलिए डॉ. तयाल बताते है कि अपने व्यस्त समय से थोड़ा टाइम निकालकर, किसी भी प्रकार की फिजिकल एक्टिविटी जैसे एक्सरसाइज और योग हर रोज जरूर करें। अपने दिन का कम से कम 30 मिनट समय व्यायाम करने के लिए निकालें, जिसमें कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग को जरूर ऐड करे। साथ ही, योग और प्राणायाम करने से भी सेहत को काफी लाभ पहुंचता है। फिजिकल एक्टिविटी करने से स्ट्रेस हार्मोन, कॉर्टिसोल कम होता है और हैप्पी हार्मोन, जैसे- एंडोर्फिन का लेवल बढ़ता है।
अच्छी सेहत बनाए रखने के लिए अपने खान-पान और व्यायाम पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। अपने आहार में सब्जियाँ, फल, साबुत अनाज और सूखे मेवे की मात्रा को बढ़ाएं और प्रोसेस्ड और पैकेट बंद फूड्स को खाना कम करें। इसके अलावा अपने आहार में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और स्वस्थ वसा से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करें।
युवाओं में धूम्रपान और शराब पीने का चलन तेजी से फैल रहा है। ये आदतें स्वास्थ्य पर गहरा और नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। ये बीमारियाँ कैंसर के साथ-साथ हृदय, फेफड़े और लीवर की बीमारियों के खतरे को काफी बढ़ा देती हैं। इसलिए इनसे बचें और धूम्रपान और शराब पीने से रोकने का प्रयास करें। अगर जरूरी हो तो आप इसके लिए किसी प्रोफेशनल या डॉक्टर की मदद भी ले सकते हैं।
नींद की कमी आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसकी वजह से स्ट्रेस हार्मोन बढ़ने लगते हैं और कई बीमारियां आपको अपना शिकार बना सकती हैं। इसलिए दिन में कम से कम 7-8 घंटे सोएं।
पानी कम मात्रा में पीना काफी नुकसानदायक होता है। इसलिए वह हर दिन कम से कम 2 लीटर पानी पीएं।
अपने चिकित्सक से नियमित रूप से मिलें और अपने रक्तचाप, रक्त शर्करा और वजन जैसे बुनियादी परीक्षण कराएं ताकि किसी भी संभावित समस्या का निदान करने में मदद मिल सके।